Tuesday, September 28, 2010

जनमबार

पत्त नै किलै लोग जनम्बार मनूनी,         
इष्ट मित्र लै मिल बे खूब कौतिक लगूनी,           
योस के करो जाणि साल भर वील,                   
जो भकार भर जानी गिफ़्ट और बधाईल।

इन्सान लै आब खूबै समझदार हैगो,        
जाणूं येक जीवन आब एक साल कम रैगो,     
तब्बै खुशीयोंक दी जलूणक रिवाज आब न्हैगो,       
जनमबारे दिन मोमबत्ती बुझोंणक चलन हैगो।                 

जिन्दगी त्यर एक साल आइ कम हैगो,        
पत्त नै कतु टैम  त्यर यां आइ रैगो,                 
धपोड्लै जब केक तू जनमबार पर,            
झन भुलिये वां बैठ रौ क्वे त्यर इन्तजार पर।      

आपण सब्बै करनी, दुसरों लिजि लै कुछ कर जा, 
आघिल पिछ्याडि जाण सबूल छू  भल कर बे, बेशक आघिल न्है जा,         
मरी बाद लै लोग मनाल त्यर जनम्बार ,             
ज्योन छिना भाल काम यास करजा  द्वि चार।

ज्योन छिना भाल काम करजालै द्वि-चार,
जाण बाद लै मनाल लोग त्यर जनम्बार हर बार।             
 ...........................................................................मदन मोहन बिष्ट

1 comment:

  1. बात इस छी ने अब घर में को बनू पू जनमबार में
    भल मनुं येकि लीजी कि सबने दगर साथ भयान
    एक दिन और मिलिगो घर में चहल पहल है गे
    उम्र कम हुनी रे, बात में यो के नि रे गे
    दी जले बेर को बुझूँ हाई घर में सबे धरल ख्याल
    मोमबत्ती केक में एक तो आखिर जलन द्याल
    बात बस फिर उई है गे परंपरा ले चाई रे गे
    साल एक कम भे यो भले साल फिर एक ए गे
    जन्मदिन खुशहाल है गे .....

    ReplyDelete