Friday, September 24, 2010

यौस झन समझिया मिं डरुणई....

क्वे लूंण रव्टल पेट भरर्णों,
क्वे कुकुड़ तितिर खैबै लै भुक्कै रूणों,
कुकुड़ तितिर ऑब बिलुप्तीक कगार पर छिन,
लोग तुमुन्कौ लै चै रयी, बच बे रया, .....यौस झन समझिया मिं डरुणई

गरीब नवाज लौकि आब पहुँच बे दूर न्हे गे,
जब बे जूसक चलन चलौ, लौकि लै VIP हैगे.
गदू, कर्याल लै रिशार थै रिशाई रिशाई जा छिन,
सोचो के बणाला के खाला, ....यौस झन समझिया मिं डरुणई

राजा महाराजा न्हे गेईं, आब मन्त्री सन्त्री ऐ गेईं.
पेट भरणक मजबूरी छु, चारा, सूटकेस, सड़क सब खाण लै रयी,
समान तुमर पास लै छु वीक सुरक्ष्याक तुम खुद जिम्मेदार छा, .....यौस झन समझिया मिं डरुणई

टीवी पर, मंच पर अधनंग मैंस पोज बणे बणे बे कशरत सिखूणई,
सब देखा देख उस्से करण लाग रईं,
उधिन के हौल जब सैणी उस्से सिखूँण लागल,
टीवी कं या नान्तिना कं, कैकं लुकाला, .....यौस झन समझिया मिं डरुणई....

पेंटिंग लगे बे, घंटी टांगी बे अशुभ कं शुभ करण लागि रयी,
क्वे दरौज तोड़ बेर वां गड्ड करण लाग रईं,
के हौल जब क्वे बताल घर मैं सितण, गिज़ाबाट खाण अशुभ हूँ,
कां रौला, कसी खाला, ......यौस झन समझिया मिं डरुणई l

पैल बखत यमदूत भैंस में ऊंछी, ऊन उनैं टैम लागि जांछी ,
आपण जिम्मेदारी निभे बे आदिम वीक बाट चै रूंछि,
आब स्पीडक जमान हैगो, यमदूतोंल लै जीप ट्रक ली हांली,
घर-घर जै निसकन बाट घट्टे टिप लि जानी,
भली कै जाया सड़क पर, तुम लै जाँ छा, ...यौस झन समझिया मिं डरुणई l

(एम्. एम्. बिष्ट)

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