Monday, January 24, 2011

दव्न्द


- कसूर -

सच तो यो छु कि कसूर आपणै छी,
चांद पकडणकि कोशिस करी
आकाश जमीन पर मांगौ
ढुंगों पर फ़ूल खिलोण चाहीं
कानां में खुश्बूकि चाहत करी
बरफ़ में निमैल(गर्मी) चानै रयूं 
ख्वाब जो देखीं सोचौ सच है जाल 
यैक हमुकैं सजा तो मिलणै छी
सच तो यो छु कि कसूर आपणै छी।


- वादा -

नि पुछो अल्लै कि  मन्जिल कां छु  
आइ सिर्फ़ जाणक इरादा करी छू,
लफ़ाइ नि जूं कतिकै बाटां पन
हौसला लै खूब ज्यादा भरी छू,
नि हारुल कभैं यां ’मदन’ उमर भर
कैहैंणी नै आपण थैं यौ वादा करी छू।

.......................मदन मोहन बिष्ट