दीपक जुगनूं चांद सितारे एक जास छिन,
यानी सब गमक मारी एक जास छिन।
कधिनें अन्यार र्में ऎ बेर देख लिये चंदा,
म्यार आंसू और तों तारे एक जास छिन।
गाड जस बगनू मि भेद भाव के जाणू,
म्यार लिजी द्विए किनार एक जास छिन।
मेरि नाव जाणि कैल डुबै के मालूम,
सब लहर सब धारा यां एक जास छिन।
कुछ आपण कुछ तेहति (पराय) और खुद मि,
म्यार जानक दुष्मण सब एक जास छिन।
आब बताओ यां कैथैं फ़रियाद करूं ’मदन’,
कातिल, कोतवाल और काजी सब एक जास छिन।
-----मदन मोहन बिष्ट