Friday, December 21, 2012

अधमरी घाम

डुन जौस घ्वड में बैठी बेई तक
जो घाम अधमरी जौ ऎ रोछी,
आज उ आयै न्हैत
सब रात्ति पर बै चै रौछी।

आज सकर जरूरत छी
घाम रनकर आयै न्हैत,
रात्तिब्याण नै ध्वे ऎ जाल
रुडिक दिनौ जब चैनै न्हैंत।

हौल पड रौ अन्यार पट्ट
तुस्यारल सब अरडपट्ट
एक घामक सहार छी
तैक लै हैगे यसि खडपट्ट।

नानतिन देखो लकडी जै गेयीं
बुड-बाडि सब सिकोडी जै गेयीं,
चाड पिटंग लै सन्ट छन
ज्वान लै सब ठंड छन।

कसी चलाला हीटर गीजर
बिजुलिक ख्वार लै पड रौ बज्जर,
नि जाओ हालात बिगड
ल्यूंण पडूं आब एक सिगड।

डुन जौस घ्वड में बैठी बेई तक
जो घाम अधमरी जौ ऎ रोछी,
आज उ आयै न्हैत
सब रात्ति पर बै चै रौछी।
--- मदन मोहन बिष्ट, रुद्रपुर उत्तराखन्ड---

Tuesday, August 28, 2012

सीख

आंसुओ तुम आंखोंक क्वाण पन आई नि करो,
घराक हालात दुनी कें बताई नि करो।
लोग मुट्ठी में लूण भर बे फ़िरणई,
ज़खम आपण सब्बू कें दिखाई नि करो।

आंख बची रौली तो स्वैण देखते रौला,
खाल्ली झुट स्वैण आखों में सजाई नि करो।
जे आपण हाथम छू उकैं भौत समझो,
लालच में ईमान धरम लुटाई नि करो।

कास-कास दिन ऊंनी और निकल जानी,
मणी सा दुख में हा-हाकार मचाई नि करो।
कमी भलै हैजो पर हाथ नि फ़ैलूंण पडो,
चादर बटी भैर पैर फ़ैलाई नि करो।

स्याप हमेशा खुश्बूक आसपासै रूनी,
खुशबू वाल पेड आंगन में सजाई नि करो।
जै पर भरोस हूं वी ध्वाक दीजां,
हर आदिम कें चुल तक लिजाई नि करो।

लोग आंगूं पकड बे गिरेवान तक बढ जानी,
बिना सोचिये मददक हाथ बढाई नि करो।
लोग हाथ मिलै बे आपण आंगू तक गिणनी ,
हर मिलणी वाल कैं छाति पर लगाई नि करो।

ख्वारम खुट धर बे लोग मांथि जाणक फ़िराक में छन
गरदन आपणि हर जाग पै झुकाई नि करो।
जिन्दगीक पन्नों पर पेन्सिल है ज्यादा रबड नि घिसो,
फ़ाटी पन्न जोडण मुस्किल हूं गल्ती इसी  बार बार दोहराई नि करो ।

आज बखतौक संदेश यो छू समझो ’मदन’,

साथ, सांस और स्वैण  कभतै लै टुट सकनी
इनू पर ज्यादा भरोस जताई नि करो।
------- मदन मोहन बिष्ट, रुद्रपुर, उत्तराखण्ड .........
            http://www.facebook.com/mmbisht

Thursday, April 5, 2012

एक जास छिन







दीपक जुगनूं चांद सितारे एक जास छिन,

यानी सब गमक मारी एक जास छिन।


कधिनें अन्यार र्में  ऎ बेर देख लिये चंदा,

म्यार आंसू और तों तारे एक जास छिन।


गाड जस  बगनू  मि भेद भाव के जाणू,

म्यार लिजी द्विए किनार एक जास छिन।


मेरि नाव जाणि कैल डुबै के मालूम,

सब लहर सब धारा यां एक जास छिन।


कुछ आपण कुछ तेहति (पराय) और खुद मि,

म्यार जानक दुष्मण सब एक जास छिन।


आब बताओ यां कैथैं फ़रियाद करूं ’मदन’,

कातिल, कोतवाल और काजी सब एक जास छिन।


-----मदन मोहन बिष्ट