Friday, October 15, 2010

पुकार

by Madan Mohan Bisht on Wednesday, September 1, 2010 at 10:46pm
 
उठ पहाडक नौजवान आब त हैजा तू तैयार, डाना काना भिड़ा स्यरा तिकणी रईं पुकार;
सेई रोछे सालों बटी गवें हैली दिन हजार, बिडी फूंकी तास खेला डोई रून्छे सार बाज़ार l

कम पड़ी बाबु त्यारा कसी दिल्ली गेई; सालों खटी परदेशा तिकें पडे गेई;
ढुंग सारीं बौल करों कसिके कमायो, ईजे ले लगण करीं, तिकणी खवायो l

मुस मारूं चां न्हाती ख़ाली छिना ड्वाक भकार,छानी ले निदोणी हैगे लागी रूंछी जां कतार,
डाड मारी आखी खोई इज हैगे तेरी बीमार, जब बाटी बाबु गेई दुःख रूनी खुट पसार l

कुछ कर काम च्याला बण ना तू यूँ बेकार, पड़ी लिखी लौंड छै तू काम छिना यें हजार,
गाड़ भिड़ा कमै खा या पडा नान्तिन द्वि चार, के होलो आघिल त्योरो कर मणि यो बिचार l

फूल फल भोते हूनी  पड जानी सब बेकार, एकबट्टा भैर भेज डबल कमा द्वि-चार,
कुड़ी छानी छाई जाला, डबल आला द्वि-चार, दवाई इजकी होली पड़ी रोली ना बीमार l

ब्योली ल्याले खुश रोलै, खुश रोली इजा, दुखी छि उमर भरी ऊंके ख़ुशी दीजा,
उठ पहाडक नौजवान आब त हैजा तू तैयार, डाना काना भिड़ा स्यरा तिकणी रईं पुकार l

....................एम् एम् बिष्ट

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