Friday, December 21, 2012

अधमरी घाम

डुन जौस घ्वड में बैठी बेई तक
जो घाम अधमरी जौ ऎ रोछी,
आज उ आयै न्हैत
सब रात्ति पर बै चै रौछी।

आज सकर जरूरत छी
घाम रनकर आयै न्हैत,
रात्तिब्याण नै ध्वे ऎ जाल
रुडिक दिनौ जब चैनै न्हैंत।

हौल पड रौ अन्यार पट्ट
तुस्यारल सब अरडपट्ट
एक घामक सहार छी
तैक लै हैगे यसि खडपट्ट।

नानतिन देखो लकडी जै गेयीं
बुड-बाडि सब सिकोडी जै गेयीं,
चाड पिटंग लै सन्ट छन
ज्वान लै सब ठंड छन।

कसी चलाला हीटर गीजर
बिजुलिक ख्वार लै पड रौ बज्जर,
नि जाओ हालात बिगड
ल्यूंण पडूं आब एक सिगड।

डुन जौस घ्वड में बैठी बेई तक
जो घाम अधमरी जौ ऎ रोछी,
आज उ आयै न्हैत
सब रात्ति पर बै चै रौछी।
--- मदन मोहन बिष्ट, रुद्रपुर उत्तराखन्ड---